मानव शरीर में लगाई सूअर की किडनी, US के डॉक्टर्स बोले- बढ़िया तरीके से कर रही काम


गणेश कुमार स्वामी   2023-09-16 07:40:32



दुनियाभर में कई ऐसे लोग हैं जो अंग दान के इंतजार में अपनी जिंदगी गुजार देते हैं, कई बार तो जरूरत के हिसाब से अंग ना मिल पाने की वजह से मौत ही हो जाती है। ह्युमन बॉडी पार्ट्स मिलना बहुत ही मुश्किल काम है। इस परेशानी से उबरने के लिए अब जानवरों के अंगों को ह्युमन बॉडी में ट्रांसप्लांट करने को लेकर प्रयोग किया जा रहा है, जिसमें डॉक्टर्स को सफलता भी हासिल हो रही है। फ्रांस प्रेस की खबर के मुताबिक हाल ही में अमेरिका के सर्जन्स ने सूअर की किडनी को मानव शरीर में ट्रांसप्लांट कर इसे सफल पाया है। सर्जन्स का कहना है कि मानव शरीर में प्रत्यारोपित की गई सूअर की किडनी 32 दिनों से बिल्कुल सही काम कर रही है।

अमेरिका के सर्जन्स ने ब्रेन डेड घोषित एक व्यक्ति के शरीर में सूअर की किडनी को उसके जीन में बदलाव कर प्रत्यारोपित की थी। सर्जन्स ने गुरुवार को बताया कि उन्होंने 61 दिन बाद इस प्रयोग को खत्म कर दिया है, क्यों कि सूअर की किडनी मानव शरीर में सही से काम कर रही है। इस सफलता के बाद डॉक्टर्स की उम्मीदें जोनोट्रांसप्लांट के क्षेत्र में काफी बढ़ गई हैं। बता दें कि जब किसी जानवर के अंग मानव शरीर में ट्रांसप्लांट किए जाते हैं तो उसे जोनोट्रांसप्लांट कहा जाता है।

अमेरिका में 103,000 से ज्यादा लोग बॉडी पार्ट्स के ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं, जिनमें से 88,000 को किडनी की जरूरत हैं। जुलाई महीने में सर्जरी को लीड करने वाले न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी लैंगोन ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के निदेशक रॉबर्ट मोंटगोमरी ने कहा कि उन्होंने पिछले दो महीने में काफी विश्लेषण और गहन अवलोकन किया और इससे बहुत कुछ सीखा है। अब वह भविष्य को लेकर काफी आशावादी हैं। 

बता दें कि सर्जन मोंटगोमरी का यह पांचवा कथित जोनोट्रांसप्लांट था। उन्होंने सितंबर 2021 में दुनिया का पहला जीन मोडिफाइड सूअर की किडनी का ट्रांसप्लांट किया था। 

2022 में इंसान को लगाया था सूअर का हार्ट 

रिसर्च के दौरान लिए गए टिशू के सैंपल से संकेत मिलता है कि रिजेक्शन की हल्की प्रक्रिया शुरू हुई थी जिसके लिए इम्यूनोसप्रेशन दवा की जरूरत थी। बता दें कि मानव शरीर में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सूअर को वर्जीनिया की बायोटेक कंपनी रेविविकोर द्वारा पाले गए झुंड से लाया गया था। बता दें कि जनवरी 2022 में, यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल स्कूल के सर्जन्स ने एक जिंदा मरीज पर दुनिया का पहला ट्रांसप्लांट सूअर से मानव शरीर पर किया था। यह एक हार्ट ट्रांसप्लांट था। हालांकि दो महीने बाद उसकी मौत हो गई थी। मौत का कारण अंग मे पोर्सिन साइटोमेगालोवायरस पाया गया था।