50 करोड़ लोगों को बिजली दे सकता है सीवर का पानी


गणेश कुमार स्वामी   2023-08-27 05:08:00



नालियों और सीवरों के जिस अपशिष्ट पानी को पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्या समझा जाता है वह उपयोगी भी हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की नई रिपोर्ट वेस्टवाटर-टर्निंग प्रॉब्लम टू सोल्यूशन के अनुसार कारगर नीतियों की मदद से इस दूषित जल की समस्या का न सिर्फ समाधान हो सकता है, बल्कि इससे 50 करोड़ लोगों के लिए वैकल्पिक बिजली की व्यवस्था और चार करोड़ हेक्टेयर जमीन की सिंचाई भी की जा सकती है। इस सिंचित जमीन का आकार करीब जर्मनी के बराबर जितने खेतों की सिंचाई करने जितना है।

इतना ही नहीं इस अपशिष्ट जल में मौजूद पोषक तत्व खेतों के लिए काफी फायदेमंद हो सकते हैं। अनुमान है कि यदि इसमें मौजूद पोषक तत्वों के दोबारा उपयोग से सिंथेटिक उर्वरकों पर बढ़ती निर्भरता को काफी कम किया जा सकता है। इसकी सहायता से खेती-बाड़ी में इस्तेमाल की जाने वाली नाइट्रोजन और फास्फोरस की मांग को 25 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रति वर्ष लगभग 32 हजार करोड़ क्यूबिक मीटर अपशिष्ट पानी का फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है। करीब 50 फीसदी दूषित पानी को बगैर स्वच्छ किए नदियों, झीलों और समुद्र में छोड़ा जा रहा है।

पानी की बर्बादी रोकने में होंगे सफल

अध्ययन के अनुसार, इस प्रक्रिया से पानी की भारी बर्बादी रोकने में सफल हो सकते हैं। इस समय भारत सहित दुनिया की एक बड़ी आबादी गंभीर जल संकट का सामना कर रही है। वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट (डब्ल्यूआरआई) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत सहित दुनिया के 25 देशों में जल संकट गंभीर रूप ले चुका है। ये वे देश हैं जो अपनी जल आपूर्ति का 80 फीसदी से ज्यादा हिस्सा खर्च कर रहे हैं। यह समस्या केवल इन्हीं देशों तक ही सीमित नहीं है। दुनिया की करीब 50 फीसदी आबादी यानी 400 करोड़ लोग साल में कम से कम एक महीने पानी की भारी किल्लत का सामना करते हैं।

बढ़ेगी अपशिष्ट जल की मात्रा  

रिपोर्ट के अनुसार, 2015 में घरेलू और शहरी स्रोतों से निकलने वाले अपशिष्ट जल की मात्रा 38 हजार करोड़ क्यूबिक मीटर थी, वह 2030 तक बढ़कर 49,700 करोड़ क्यूबिक मीटर तक पहुंच जाएगी। ऐसे में इस अमूल्य संसाधन को ऐसे ही नाली में बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए। वर्तमान में मात्र 11 फीसदी ट्रीटेड वाटर का पुनः उपयोग किया जाता है। फ्रांस में मात्र 0.1 फीसदी अपशिष्ट जल को साफ करने के बाद फिर से उपयोग किया जाता है। करीब 50 फीसदी दूषित पानी को बगैर स्वच्छ किए नदियों, झीलों और समुद्र में छोड़ा जा रहा है। यह दूषित पानी पर्यावरण के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर समस्याएं पैदा कर रहा है।

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https://wedocs.unep.org/handle/20.500.11822/43142