बेणेश्वर धाम में 25 जनवरी से आदिवासी समुदाय का होगा कुंभ, भक्त लगाएंगे त्रिवेणी संगम में डुबकी


गणेश कुमार स्वामी   2024-01-24 09:58:13



राजस्थान के वांगड यानी बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिला, जहां राजस्थान की सबसे ज्यादा आदिवासी आबादी बसती है, यहीं पर आदिवासियों का सबसे बड़ा आस्था का केंद्र (तीर्थ स्थल) बेणेश्वर धाम है। यहां त्रिवेणी संगम है, क्योंकि यहां पर सोम, माही और जाखम नदियों का संगम है। इस जगह पर 25 जनवरी को एक बड़ा धार्मिक आयोजन होगा, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त पहुंचेंगे। महा पदयात्रा नाम के इस आयोजन में कई राज्यों के भक्त पहुंचेंगे। इस आयोजन के कार्यक्रम का कैलेंडर भी जारी हुआ है। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं, जिससे यहां का नजारा कुंभ जैसा लगता है।

डूंगरपुर जिले में स्थिति बेणेश्वर धाम में पौष पूर्णिमा के अवसर पर 25 जनवरी को महापद यात्रा निकाली जाएगी। इसमें माव जी महाराज के भक्त हजारों की संख्या में पहुंचेंगे। इससे पहले 24 जनवरी यानी आज पद यात्रा महोत्सव होगा। पदयात्रा के बाद गुरुवार (25 जनवरी) को ही साबला क्षेत्र में धर्म जागरण प्रवचन और विशाल जनसभा होगी। इसका कैलेंडर जारी हो गया है, जिसमें इन कार्यक्रमों को भी जगह दी गई है। इस दौरान यहां माव भक्त त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाएंगे। इसके ठीक एक माह बाद आज बेणेश्वर धाम का महाकुंभ भरेगा। मेले में कार्यक्रमों की शुरुआत आज से ही शुरू हो जाएगी। 

आदिवासियों का सबसे बड़ा आस्था का केंद्र

बेणेश्वर धाम राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के आदिवासियों का सबसे बड़ा आस्था का केंद्र है। राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तब भी इस क्षेत्र की बड़ी महत्ता है। कैलेंडर में दी गई जानकारी के अनुसार, राजस्थान के वांगड क्षेत्र में माव जी महाराज ऐसे युग पुरुष हुए जिन्होंने ब्राहम्ण होते हुए भी सभी जातियों में सर्वप्रथम समरसता लाने का प्रयास किया। विधवा विवाह का समर्थन किया, छूआछूत का विरोध किया और शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने चार चौपडे (ग्रंथ) लिखे। हजारों की संख्या में भक्त आज भी माव जी महाराज की भक्ति का अनुसरण करते हैं।