भारत के एतिहासिक मिशन को सफल बनाने में NASA और ESA की रही अहम भूमिका


गणेश कुमार स्वामी   2023-08-23 11:10:06



भारत का चंद्रयान-3 चांद पर सफलतापू्र्वक लैंड कर चुका है। इसरो द्वारा चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के साथ ही भारत ने इतिहास रच दिया है। भारत पूरी दुनिया में चंद्रमा पर सफल लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है, लेकिन पृथ्वी से चांद तक का सफर काफी कठिन रहा है। इस मिशन से भारत के साथ ही दुनिया के कई देशों को फायदा होगा।

भारत के मिशन चंद्रयान-3 पर पिछले चार वर्षों से काम चल रहा था। जब भारत में कोविड-19 ने पैर पसारा था, तब भी कई टीमों ने इस मिशन के लिए काम किया। इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ के मुताबिक, करीब 700 करोड़ रुपये के मिशन को पूरा करने के लिए लगभग 1,000 इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने काम किया।

इस मिशन को सफल बनाने के लिए अमेरिका की स्पेस एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने इसरो का हाथ थाम लिया था। विश्व की तीन बड़ी स्पेस एजेंसियां कंधे से कंधा मिलाकर इस मिशन का सफल बनाया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस यान के लॉन्च के दौरान से ही दोनों एजेंसियों ने चंद्रयान-3 को मॉनिटर किया है।

NASA से मिल रही बड़ी मदद

इसरो को नासा की ओर से इस मिशन में काफी बड़ी मदद मिली है। जानकारी के मुताबिक, मिशन के लिए सबसे बड़ी मदद नासा के कैलिफोर्निया में डीएसएन कॉम्प्लेक्स से मिली, क्योंकि यह पृथ्वी पर भारत के दूसरी ओर मौजूद है। ऐसे में जब भारत में स्‍पेस स्टेशन से चांद नहीं दिख रहा था, तो यहीं से जानकारी इकट्ठा कर इसरो को मुहैया कराई थी।

नासा डॉपलर इफेक्ट के लिए यान के रेडियो सिग्नल को भी मॉनिटर कर रहे थे, जो स्पेसक्राफ्ट को नेविगेट करने में मदद करता है। चांद की सतह पर उतरने के दौरान यह जानकारी काफी अहम होती है, क्योंकि इससे पता चलता है कि रियल टाइम में स्पेसक्राफ्ट कैसे काम कर रहा है।

ESA बना मैसेंजर

नासा के साथ-साथ यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) भी भारत की मदद कर रही थी। स्पेस एजेंसी ESA का कौरौ, फ्रेंच गुयाना में स्थित 15 मीटर लंबा एंटिना और यूके के गोनहिली अर्थ स्टेशन में स्थापित 32 मीटर लंबे एंटिना को तकनीकी क्षमताओं के समर्थन के लिए चुना गया था।  

ईएसए, एस्ट्रैक नेटवर्क में दो ग्राउंड स्टेशनों के माध्यम से उपग्रह को उसकी कक्षा में ट्रैक करता है। ये दोनों स्पेस स्टेशन लगातार चंद्रयान-3 मिशन को लेकर बेंगलुरु में मिशन संचालन टीम और चंद्रयान-3 उपग्रह के बीच एक संपूर्ण संचार चैनल उपलब्ध करा रहे थे।