चंद्रयान-2 ऑर्बिटर और चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल के बीच हुआ संपर्क, ISRO ने लिखा- स्वागत है दोस्त!


गणेश कुमार स्वामी   2023-08-22 01:38:55



बेंगलुरु, 21 अगस्त। चंद्रयान-2 के आर्बिटर और चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल के बीच दोतरफा संचार स्थापित हुआ है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, स्वागत है दोस्त! चंद्रयान-2 आर्बिटर ने औपचारिक रूप से चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया। दोनों के बीच दोतरफा संचार स्थापित हो गया है। मिशन ऑपरेशंस कॉम्पलेक्स के पास अब लैंडर मॉड्यूल तक पहुंचने के लिए ज्यादा मार्ग हैं।

23 अगस्त को लैंडिंग की तैयारी

इसरो ने रविवार को कहा कि चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त को शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। एमओएक्स इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) में स्थित है।

चंद्रयान-2 मिशन 2019 में भेजा गया था

चंद्रयान-2 मिशन 2019 में भेजा गया था। इस अंतरिक्षयान में आर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल था। लैंडर के अंदर एक रोवर था। लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे यह मिशन के सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो सकी थी।

भारत के चंद्रयान-3 की स्थिति क्या है?

चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल चांद की सतह से महज 25 से 150 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगा रहा है। इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 का दूसरा और अंतिम डीबूस्टिंग प्रक्रिया सफलतापूर्वक हो चुकी है और अब 23 अगस्त का इंतजार है, जब चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत इतिहास रच देगा और ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अभी तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता हासिल की है। इतना ही नहीं चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कराने वाला भारत पहला देश हो सकता है। 

23 अगस्त को ही चंद्रयान-3 क्यों उतर रहा?

दरअसल, 23 अगस्त वह तारीख है जिस दिन चंद्रमा पर दिन की शुरुआत होती है। एक चंद्र दिवस पृथ्वी पर लगभग 14 दिनों के बराबर होता है, जब सूर्य का प्रकाश लगातार उपलब्ध रहता है। चंद्रयान-3 के उपकरणों का जीवन केवल एक चंद्र दिवस का ही होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरण होते हैं और उन्हें चालू रहने के लिए सूर्य की रोशनी की जरूरत होती है।