जलवायु परिवर्तन का सेहत पर असर जानने के लिए भारत में बनेगा मुख्यालय


गणेश कुमार स्वामी   2023-08-21 06:15:43



गांधीनगर, 21 अगस्त। पारंपरिक चिकित्सा के बाद अब जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पहल (सीएचआई) का मुख्यालय भारत में बनेगा, जिसकी घोषणा जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के सहयोग से सरकार जी-20 देशों के लिए इसे तैयार करेगी जो सभी देशों के लिए जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर नीतियां, अनुसंधान और स्वास्थ्य पहल तैयार करेगा। गुजरात के गांधीनगर में आयोजित जी-20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में भारत की इस पहल का सभी देशों ने स्वागत करते हुए लिखित समर्थन दिया है। हालांकि, दक्षिण एशिया से चीन ने इस पर सहमति नहीं दी है, लेकिन अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य को लेकर भारत के नेतृत्व में कार्य करने की सहमति दी है।

छोटे देशों के लिए संजीवनी बनेगा भारत 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, हाल ही में भारत और एडीबी के बीच 2023-2027 तक के लिए जलवायु परिवर्तन को लेकर समझौता हुआ है, जिसका मुख्यालय भारत में ही होगा। जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक संकट है, जो हर किसी को प्रभावित करता है, लेकिन इसके परिणाम विशेष रूप से गरीब और कमजोर आबादी के लिए विनाशकारी हैं। वैश्विक दक्षिण क्षेत्र के कम आय वाले देशों के लिए भारत एक संजीवनी बनेगा और जलवायु परिवर्तन से बचाव में सहयोग करेगा।

70 फीसदी संक्रामक बीमारियों की वजह

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव काफी गहरा है। हम देख रहे हैं कि 70 फीसदी संक्रामक बीमारियां जलवायु परिवर्तन की वजह से सक्रिय हुई हैं, जिन्हें जूनोटिक डिजीज कहा जाता है। चक्रवात, बाढ़ और सूखे जैसी चरम मौसमी घटनाएं लोगों के लिए घातक हो रही हैं। वर्षा के परिवर्तनशील पैटर्न से पानी की कमी हो सकती है। ऐसे में सरकार भारत के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर जनमानस के सहयोग के लिए यह पहल शुरू कर रही है।

वायु प्रदूषण से 70 लाख मौतें समय से पहले

सभी प्रकार के प्रदूषणों में वायु प्रदूषण को सबसे बड़े पर्यावरणीय जोखिम कारकों में से एक माना जाता है, जिससे हर साल लगभग 70 लाख लोगों की समय से पहले मृत्यु हो जाती है।

डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि दुनियाभर में 10 में से नौ लोग उच्चस्तर के प्रदूषकों वाली हवा के संपर्क में हैं।

एम 2.5 के मामले में 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 21 भारत में हैं।

हर दो साल में डब्ल्यूएचओ करेगा पारंपरिक चिकित्सा पर वैश्विक शिखर सम्मेलन

दुनिया में पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) हर दो साल में एक वैश्विक शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा। दूसरा सम्मेलन भी भारत में 2025 में आयोजित होगा, जब गुजरात के जामनगर स्थित पारंपरिक चिकित्सा के डब्ल्यूएचओ वैश्विक केंद्र का उद्घाटन होगा। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस ने कहा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत कई उपलब्धियां हासिल की गईं। टेलीमेडिसिन, डिजिटल स्वास्थ्य जैसी चीजों पर काम किया जा रहा है, जो आने वाले समय में काफी अहम साबित होगा। 

यूरोप, नीदरलैंड और इंडोनेशिया भी मरीजों को देंगे जन औषधि

भारत में सस्ती और किफायती जन औषधियों को देख जी-20 देशों ने हैरानी जताई है। रविवार को अहमदाबाद और गांधीनगर स्थित जन औषधि केंद्रों का दौरा करने पहुंचे स्वास्थ्य मंत्रियों ने घोषणा की है कि वे भारत के सहयोग से जन औषधियों को अपने देशों तक लेकर जाएंगे। यूरोप, नीदरलैंड और इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रियों ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया से यहां तक कहा कि जन औषधियों को उपलब्ध कराने के लिए हम अभी समझौता पर हस्ताक्षर करने को तैयार हैं। 

भारत से मांगा सहयोग

इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्री बुडी जी सादिकिन ने कहा कि मैं अपने देश के लोगों को सर्वश्रेष्ठ दवाएं उपलब्ध कराना चाहता हूं। मैंने दुनिया में कई मॉडल देखें हैं, लेकिन आज भारत की जन औषधियों और उनकी कीमत व गुणवत्ता ने हैरान कर दिया है। हम भारत से अपील करते हैं कि वे इंडोनेशिया के लोगों को भी जन औषधियां उपलब्ध कराने में सहयोग करें। वहीं, नीदरलैंड के स्वास्थ्य मंत्री अर्न्स्ट कुइपर्स ने कहा कि भारत में बन रहीं दवाएं नीदरलैंड और यूरोप के लोगों की जान बचा रही हैं। 0.50 अमेरिकी डॉलर से भी कम कीमत में रक्तचाप, मधुमेह और बुखार की दवाएं अगर मरीजों को मिलती हैं तो इससे उन पर आर्थिक बोझ बहुत कम पड़ता है। हम नीदरलैंड के लोगों को भी जन औषधियां उपलब्ध कराने के लिए भारत के साथ समझौता करेंगे।